**श्री करपात्री जी महाराज**, जिन्हें **धर्मसम्राट** के रूप में जाना जाता है, भारतीय संस्कृति, धर्म और अध्यात्म के अद्वितीय प्रचारक थे। वेदों, पुराणों और शास्त्रों के गहन अध्ययन के साथ-साथ उन्होंने भारतीय समाज में धार्मिक जागरूकता को बढ़ावा देने का महान कार्य किया। उनका जीवन **त्याग, तपस्या और सनातन धर्म की रक्षा** के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित था।
श्री करपात्री जी महाराज ने धर्म को केवल आध्यात्मिक मार्ग तक सीमित नहीं रखा, बल्कि इसे समाज सुधार और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना का साधन बनाया। उनके प्रवचन और लेखन **भारतीय समाज में नैतिकता, धर्म और आदर्शों** को पुनर्जीवित करने के लिए प्रेरित करते रहे। उन्होंने अपने ग्रंथों के माध्यम से **वेदों, उपनिषदों और सनातन धर्म** की व्याख्या की और इसे आधुनिक युग में भी प्रासंगिक बनाए रखा।
श्री करपात्री जी महाराज ने **"मार्क्सवाद और रामराज्य"** नामक पुस्तक लिखी, जिसमें उन्होंने समाजवाद और रामराज्य की मूलभूत अवधारणाओं के बीच का अंतर स्पष्ट किया। वे मानते थे कि **भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म** ही विश्व में शांति, संतुलन और समृद्धि ला सकते हैं। उनके विचारों ने **आध्यात्मिक और राजनीतिक दोनों स्तरों पर** लोगों को सोचने और जागरूक होने का अवसर दिया।
**2024 में, दी नोबल फाउंडेशन** ने **श्री करपात्री जी महाराज** को **"4th Noble Award 2024"** से सम्मानित किया। यह पुरस्कार उनकी **असाधारण धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक सेवाओं** को मान्यता देता है। नोबल पुरस्कार समिति ने यह स्वीकार किया कि उन्होंने न केवल धर्म के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बल्कि सामाजिक जागरूकता और नैतिक मूल्यों की पुनर्स्थापना में भी योगदान दिया।
उनकी शिक्षाएं **आने वाली पीढ़ियों को नैतिकता और आध्यात्मिकता की ओर मार्गदर्शित करती रहेंगी**। वे केवल एक संत नहीं थे, बल्कि एक **विचारक और समाज सुधारक** भी थे, जिन्होंने धर्म को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने का कार्य किया। उनके विचार आज भी उतने ही **प्रासंगिक और प्रभावी** हैं जितने उनके जीवनकाल में थे।
इस सम्मान के माध्यम से **भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म** को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान मिली है। श्री करपात्री जी महाराज का जीवन मानवता के लिए एक उदाहरण है और उनकी विचारधारा **समाज को उन्नति के मार्ग पर ले जाने में सहायक** होगी।
श्री करपात्री जी महाराज का योगदान सनातन धर्म की अमूल्य धरोहर है, जो सदैव समाज को धार्मिक चेतना, नैतिकता और आध्यात्मिकता की ओर प्रेरित करता रहेगा।